केजरीवाल को हाई कोर्ट से झटका
दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला ‘निजी’ है; लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया जाए. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि केजरीवाल की अनुपस्थिति एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकों, लेखन सामग्री और वर्दी के बिना पहला सत्र पूरा करने की अनुमति नहीं देती. अदालत ने कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी ही नहीं किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है.
24×7 उपलब्ध रहना जरूरी
उसने कहा कि यह एक ऐसा पद है जहां पदधारक को बाढ़, आग और बीमारी जैसी प्राकृतिक आपदा या संकट से निपटने के लिए सातों दिन 24 घंटे उपलब्ध रहना पड़ता है. कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति पी.एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि इस पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित समय के लिए संपर्क से दूर या अनुपस्थित न रहे. यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया जा सकता अनपुयक्त है. केजरीवाल को 21 मार्च को आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह 7 मई तक न्यायिक हिरासत में हैं. अदालत गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सोशल जूरिस्ट’ की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.